Hindi Film Sangeet
Ka Safar :
Meel Ke
Patthar
Vijay Verma Creates
A rare documentation
for Hindi Film music lovers and historians
A new book by veteran historian Vijay Verma ji titled Hindi Film Sangeet ka Safar : Meel Ke Patthar - An insightful journey into the Film Music History, its Significance, Milestones & the prominent Music Makers.
The 626 page Hard-Bound book, is a study of History of Hindi Film Music, thru exploration of works of its Music Makers & critical evaluation by Vijay Verma ji, 87yr old Sahitya Akademy award winning author & a renowned cultural ambassador of Folk Art, Music & Life.
An authentic & important documentation on the illustrious journey featuring definite source of truth for facts, apart from his analytical takes on various trends and events in the journey.
The Focus of the book is on the Vintage & Golden Era and the book covers [upto] AR Rahman as the last milestone music maker of the journey so far.
Apart from Milestone Music Makers, Vijay ji has also delved in to the Context of Film Songs with special focus chapters on Romantic, Devotional, Patriotic, Songs of Protest & two Focus chapters on Folk Songs and Classical songs in Hindi Film Music.
#MeelkePatthar #HindiFilmSangeetKaSafar #VijayVerma
Renowned author Vijay Verma's unique work under khataakk Non-fiction Imprint .
Available @ Antara Books & Amazon
1935 में जन्मे विजय वर्मा दीर्घकाल से कला संस्कृति और साहित्य की बहुआयामी सेवा करते आए हैं। उनका योगदान मुख्यत: लोक वांग्मय, भारतीय मंदिर स्थापत्य, हिंदी फ़िल्म संगीत, गीत संगीत रचना, संगीत के ध्वन्यालेखन व संग्रहण, निबंध एवं विविध साहित्यिक विधाओं में लेखन एवं फोटोग्राफी के क्षेत्रों में रहा है। उनके मुख्य प्रकाशन ये हैं : सरोकारों के रंग, दर्द भले हो जाए कितना, लोकावलोकन, बेड़ी की झंकार, द लिविंग म्यूजि़क ऑफ़ राजस्थान, द परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स ऑफ़ राजस्थान, राजस्थानी लोक कथा संदर्भ कोश और बहुरूपी।
उनको मिले सम्मानों में ये सम्मिलित हैं : केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, राजस्थान की साहित्य एवं संगीत नाटक अकादमी द्वारा क्रमश: प्रदत्त देवराज उपाध्याय एवं कला समग्र योगदान पुरस्कार, केके बिरला फाउंडेशन का बिहारी पुरस्कार, मेहरानगढ़़ म्यूजि़यम ट्रस्ट, जोधपुर का कोमल कोठारी सम्मान तथा वैस्ट ज़ोन कल्चरल सैंंटर, उदयपुर का कोमल कोठारी लाइफ़ -टाइम अचीवमैंट पुरस्कार।
गोरखपुर और सागर विश्वविद्यालयों में अध्यापन के बाद विजय वर्मा 33 वर्षों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य के रूप में सेवारत रहे जिस दौरान वे भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त भी रहे।