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Khataakk INITIATIVES

INSTANT...cutting edge! Fiction, Non-Fiction and Interaction.

Baat jo khataakk se bheetar utar jaaye!

Latest Print : Shailendra, Ghalib and Mohabbat Ki Dukaan : Jumla Stories of Our Times

Latest run : KKMK Podcast Season 1 : Kavi Ki Manohar Kahaniyan (KKMK) By Yashwant Vyas , narrated by Film maker Vijay Krishna Acharya, Actor Vijay Kashyap, Zeeshan Ayyub, Rajendra Gupta, Seema Pahwa, Varun Badola and Abhishek Pandey.  We Love PRINT, DIGITAL and what not!

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Mohabbat ki Dukaan

जुमलों के दौर की जानलेवा कहानियां

एक सांस में पढ़ जाने लायक बतकहियों का खाता खोलती 

यशवंत व्यास की नई कितबिया !

सभी प्लेटफार्म पर उपलब्ध .

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Amazon 
Flipkart 

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Classic Prem Katha Season-1

Stay Tuned  @Khataakk  for Classic Prem Katha Season 1 Khataakk Podcast. Starting from 24 November 2023. #premkahaniya #ClassicPremKatha #premkatha #hindikahanian

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Barsaat Mein Kavita

बारिश के मौसम में शुरू हुआ कविताओं का एक सुन्दर सिलसिला. 

कम्युनिटी के कई साथी सुना रहे हैं इस सत्र में हर बार एक खूबसूरत कविता - बरसात की बूंदों की झालर  से सजी हुई।  

MOST LOVED

KHATAAKK. Initiatives

कवि  का  लॉक डाउन   Narrated by Md Zeeshan  Ayyub | Kavi Ki Manohar Kahaniyan  #KKMK_PODCAST EP 46
02:48
Zeeshan 2  Indi Promo
00:36
VijayKrishna Acharya 2  Indi Promo
00:30
Vijay Kashyap  2  Indi Promo
00:42
Seema 2  Indi Promo
00:34
Rajendra Gupta 2  Indi Promo
00:35
Badola 2  Indi Promo
00:34
Abhishek Pandey   2  Indi Promo
00:35
आपने कभी चाय पीते हुए पिता के बारे में सोचा है ? Khataakk Poetry Fest S1 EP 01 #MohitKataria #Agyey
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आपने कभी चाय पीते हुए पिता के बारे में सोचा है ? Khataakk Poetry Fest S1 EP 01 #MohitKataria #Agyey

आपने कभी चाय पीते हुए पिता के बारे में सोचा है? Mohit Kataria recites Agyey.चीनी चाय पीते हुए . Young minds recite Classic Poetry. #khataakk KAVITA SABKI FEST-21 Starts with AGYEY. Author-Technocrat #MohitKataria recites #Agyey under the Series. Every Friday , New Poet, New voice. Set your timer,share the joy.ये ऐसी कविताएं हैं जो  जितनी बार सुनो उतनी बार नई लगती हैं . #KavitaSabkiFest21 EP 01 #poetryfestival www.khataakk.com चीनी चाय पीते हुए / अज्ञेय चाय पीते हुए मैं अपने पिता के बारे में सोच रहा हूँ। आपने कभी चाय पीते हुए पिता के बारे में सोचा है? अच्छी बात नहीं है पिताओं के बारे में सोचना। अपनी कलई खुल जाती है। हम कुछ दूसरे हो सकते थे। पर सोच की कठिनाई यह है कि दिखा देता है कि हम कुछ दूसरे हुए होते तो पिता के अधिक निकट हुए होते अधिक उन जैसे हुए होते। कितनी दूर जाना होता है पिता से पिता जैसा होने के लिए! पिता भी सवेरे चाय पीते थे। क्या वह भी पिता के बारे में सोचते थे- निकट या दूर? - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' (7 March 1911 - 4 April 1987) #HindiPoems #ClassicPoetry #Agyey #KhataakkPoetry www.khataakk.com
जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है Khataakk Poetry Fest S1 EP 02 #AbhishekTiwari #bhawaniprasadmishra
03:07

जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है Khataakk Poetry Fest S1 EP 02 #AbhishekTiwari #bhawaniprasadmishra

जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है,इस बात का मुझे बड़ा दु:ख नहीं है Abhishek Tiwari recites Bhawani Prasad Mishra Under KAVITA SABKI series Season -1 Episode -2. #khataakk KAVITA SABKI FEST-21.Young minds recite Classic Poetry. Cartoonist-Journalist-#AbhishekTiwari recites #BhawaniPrasadMishra under the Series. Every Friday , New Poet, New voice. Set your timer,share the joy.ये ऐसी कविताएं हैं जो  जितनी बार सुनो उतनी बार नई लगती हैं . www.khataakk.com जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है/भवानी प्रसाद मिश्र जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है, इस बात का मुझे बड़ा दु:ख नहीं है, क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ, बड़े सुख आ जाएं घर में तो कोई ऎसा कमरा नहीं है जिसमें उसे टिका दूं। यहां एक बात इससॆ भी बड़ी दर्दनाक बात यह है कि, बड़े सुखों को देखकर मेरे बच्चे सहम जाते हैं, मैंने बड़ी कोशिश की है उन्हें सिखा दूं कि सुख कोई डरने की चीज नहीं है। मगर नहीं मैंने देखा है कि जब कभी कोई बड़ा सुख उन्हें मिल गया है रास्ते में बाजार में या किसी के घर, तो उनकी आँखों में खुशी की झलक तो आई है, किंतु साथ साथ डर भी आ गया है। बल्कि कहना चाहिये खुशी झलकी है, डर छा गया है, उनका उठना उनका बैठना कुछ भी स्वाभाविक नहीं रह पाता, और मुझे इतना दु:ख होता है देख कर कि मैं उनसे कुछ कह नहीं पाता। मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि बेटा यह सुख है, इससे डरो मत बल्कि बेफिक्री से बढ़ कर इसे छू लो। इस झूले के पेंग निराले हैं बेशक इस पर झूलो, मगर मेरे बच्चे आगे नहीं बढ़ते खड़े खड़े ताकते हैं, अगर कुछ सोचकर मैं उनको उसकी तरफ ढकेलता हूँ। तो चीख मार कर भागते हैं, बड़े बड़े सुखों की इच्छा इसीलिये मैंने जाने कब से छोड़ दी है, कभी एक गगरी उन्हें जमा करने के लिये लाया था अब मैंने उन्हें फोड़ दी है। ~भवानी प्रसाद मिश्र (1913-1985) #HindiPoems #ClassicPoetry #BhawaniPrasadMishra #KhataakkPoetry #KavitaSabki #FathersDay
जब नाश मनुज पर छाता है  Khataakk Poetry Fest S1 EP 03 #abhishekpandey #ramdharisinghdinkar
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जब नाश मनुज पर छाता है Khataakk Poetry Fest S1 EP 03 #abhishekpandey #ramdharisinghdinkar

जब नाश मनुज पर छाता है,पहले विवेक मर जाता है Abhishek Pandey recites Ramdhari Singh Dinkar Under KAVITA SABKI series Season -1 Episode -3. #khataakk KAVITA SABKI FEST-21.Young minds recite Classic Poetry. Actor-Anchor -#AbhishekPandey recites #RamdhariSinghDinkar under the Series. Every Friday , New Poet, New voice. Set your timer,share the joy. ये ऐसी कविताएं हैं जो जितनी बार सुनो उतनी बार नई लगती हैं . www.khataakk.com रश्मिरथी / तृतीय सर्ग/ रामधारी सिंह "दिनकर" वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- ‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें। ‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं। दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर। ‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख, चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर। शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र। ‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश, शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल। जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें। ‘भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख, यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण, मृतकों से पटी हुई भू है, पहचान, इसमें कहाँ तू है। ‘अम्बर में कुन्तल-जाल देख, पद के नीचे पाताल देख, मुट्ठी में तीनों काल देख, मेरा स्वरूप विकराल देख। सब जन्म मुझी से पाते हैं, फिर लौट मुझी में आते हैं। ‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन, पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर! मैं जभी मूँदता हूँ लोचन, छा जाता चारों ओर मरण। ‘बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है? यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन। सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है? ‘हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना, तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ। याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा। ‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर, फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा। दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा। ‘भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे, वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे। आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा।’ कृष्ण की चेतावनी थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े। केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’! -रामधारी सिंह "दिनकर" (1908-1974) #HindiPoems #ClassicPoetry #RamdhariSinghDinkar #KhataakkPoetry #KavitaSabki #RashmiRathi #YchanaNahinAbRanHoga
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