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Kavi Ishwar Ko Nahin Manata Tha I Book Review by Ravindra Tripathi
यह किताब आपको चिंता-मुक्त करती है
एक कहानी सुनिए - कवि ईश्वर को नहीं मानता था
- रवींद्र त्रिपाठी , लेखक- आलोचक
Critic Ravindra Tripathi on Kavi Ki manohar Kahaniyan.
ये उन कवियों के बारे में है जो कवि की मुद्रा धारण करते हैं
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एक होते हैं सच्चे कवि,एक होते हैं पक्के कवि.
सच्चे कवि दुनिया के सबसे सुन्दर मनुष्य हैं ,वे भूख में रोटी हैं, वे प्यास में पानी हैं. लेकिन वे और हैं जो उनके हमनाम हैं, जो भूख लगे तो मनुष्य को रोटी में बदल लें.
प्यास लगे तो मनुष्य पी जाएँ.
पब्लिक कहती है, कवि कविता की जगह एक नाव बना दे तो जनता उसमें चढ़ बैठे, ताकि जब डूबने की घड़ी आए तो जान बचाने का सामान हो।
यह कवि कहता है, नाव बनाना मामूली काम है। वह ऐसे मामूली काम क्यों करे?
वह तो महान काम के लिए पैदा हुआ है।
नाव तो किसी ऐरे-गैरे से बनवा लो जो लकड़ी ठोंकना जानता हो, कवि तो कविता ठोंकता है।
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ये मनोहर हैं, ये कातिल हैं.
ये ऐसे ही कवि की मनोहर कहानियाँ हैं
#कवि की मनोहर कहानियाँ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध है और Read-Listen-Watch के साझे में इस साल की पहली खटाक पेशकश है.
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